



Sanatan Yatra Song

आध्यात्मिक स्वास्थ्य
हम स्थानीय गैर-लाभकारी संगठनों को संसाधनों और सहायता प्रदान करते हैं ताकि आध्यात्मिक विकास, सांस्कृतिक समझ, और समुदाय की एकता को प्रोत्साहित किया जा सके।

सांस्कृतिक संरक्षण
हम स्थानीय गैर-लाभकारी संगठनों की मदद करते हैं जो सनातन धर्म की समृद्ध विरासत को संरक्षित और प्रमोट करते हैं, विविधता और पारंपरिकता के प्रति समझ को बढ़ावा देते हुए।

सामाजिक सेवाएँ
हम स्थानीय गैर-लाभकारी संगठनों को संसाधनों तक पहुंच में मदद करते हैं ताकि गरीब समुदायों को आवश्यक सेवाएँ, समर्थन, और अवसर प्रदान किए जा सकें, सामाजिक कल्याण और सशक्तिकरण को प्रोत्साहित करते हुए।

शैक्षिक पहल
हम स्थानीय गैर-लाभकारी संगठनों के साथ सहयोग करते हैं ताकि शैक्षिक अवसरों, कौशल विकास, और ज्ञान वितरण को बढ़ावा दिया जा सके, समग्र विकास और सतत प्रगति को प्रोत्साहित करते हुए।

सांस्कृतिक एकता, आध्यात्मिक विरासत
सनातन सांस्कृतिक संघ सांस्कृतिक कार्यक्रमों और आयोजनों के माध्यम से सनातन धर्म की समृद्ध विरासत को बढ़ावा देता है,एवं समझ को बढ़ावा देता है। हमारा समावेशी समुदाय करुणा और सद्भाव के सिद्धांतों को अपनाते हुए विविधता, आध्यात्मिकता और शिक्षा को अपनाता है।
अतएव हमारे सिद्धांतो का उत्साह मनाने और आत्म-खोज की एक संपूर्ण यात्रा शुरू करने में आप सभी हमारे साथ जुड़ें।

हमें आपकी आवश्यकता क्यों है?
अपने पड़ोस को बदलने के लिए हमारे साथ स्वयंसेवा में शामिल हों
हमारे साथ स्वयंसेवा में शामिल हों। आपकी मदद से हम परिवारों को नया आदर्श दे सकते हैं। आपके योगदान से हम समुदाय को सशक्त और समृद्ध बनाने में मदद कर सकते हैं।
विभिन्न पहलों और अभियानों में स्वयंसेवक के संभावितताओं का परीक्षण करें, जैसे कि सामुदायिक पहुंच कार्यक्रम और घटना योजना।
सामुदायिक पहुंच कार्यक्रम और घटना योजना जैसे विभिन्न पहलों और अभियानों में स्वयंसेवक की संभावितताओं का परीक्षण करें।
स्वयंसेवक बनें और हमारे उद्देश्य की सहायता करें अपनी कौशल्य और समय को हमारे नेटवर्क में शामिल होकर।
अपनी कौशल्य और समय का हमारे नेटवर्क में शामिल होकर हमारे उद्देश्य की सहायता करें, स्वयंसेवक बनें।

शरद पूर्णिमा: चंद्रमा की सोलह कलाओं का पूर्ण होना
लेखक: हरिप्रिया भार्गव, राष्ट्रीय अध्यक्ष, सनातन सांस्कृतिक संघ
शरद पूर्णिमा का सनातन धर्म में विशेष महत्व है। यह वह दिन होता है जब चंद्रमा अपनी सम्पूर्ण सोलह कलाओं से पूर्ण होता है। चंद्रमा की सोलह कलाओं को आदिकाल से शुद्धता और दिव्यता का प्रतीक माना गया है। इस दिन चंद्रमा अपनी अद्भुत चांदनी से समस्त आठों दिशाओं में प्रकाश फैलाता है, जिससे वातावरण में एक विशेष ऊर्जा और शांति का संचार होता है।
हमारे सनातन ग्रंथों के अनुसार, चंद्रमा की किरणों में इस दिन अमृत का संचार होता है। यही कारण है कि शरद पूर्णिमा की रात्रि में खीर का प्रसाद बनाकर उसे चंद्रमा की किरणों में रखा जाता है। यह खीर फिर भक्तों को प्रसाद के रूप में वितरित की जाती है, जिसे शुद्ध और पवित्र माना जाता है। इसके पीछे यह मान्यता है कि चंद्रमा की दिव्य किरणों से इस खीर में अमृत का संचार होता है, जो सेहत के लिए लाभकारी होता है।
धार्मिक और सांस्कृतिक महत्त्व
सनातन सांस्कृतिक संघ द्वारा शरद पूर्णिमा के अवसर पर हर साल भक्ति, संगीत, नृत्य और कला से संबंधित विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। इस वर्ष भी हमारी संस्था ने भेदभाव से मुक्त समाज के निर्माण के उद्देश्य से एक विशाल सांस्कृतिक और भक्ति समागम का आयोजन किया, जिसमें विभिन्न धर्मों के अनुयायी भी सम्मिलित हुए।
हमारा प्रमुख उद्देश्य वैदिक, जैन, बौद्ध, और सिख धर्म की मौलिक धार्मिक परंपराओं का प्रसार और संरक्षण करना है, ताकि विश्व में इनकी उपासना, प्रचार और अनुसंधान में वृद्धि हो सके।
इस अवसर पर हम सभी से अनुरोध करते हैं कि वे माँ शक्ति की भक्ति के माध्यम से चंद्रमा की अमृतमयी किरणों का आशीर्वाद प्राप्त करें और इस दिव्य आयोजन को भक्ति, नृत्य, संगीत और खीर के साथ सफल बनाएं।
निष्कर्ष
शरद पूर्णिमा का पर्व न केवल धार्मिक बल्कि वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी अत्यंत महत्वपूर्ण है। इस दिन चंद्रमा की पूर्णता और उसकी सोलह कलाओं का अनुभव कर हमें यह संदेश मिलता है कि हमें भी अपने जीवन को पूर्णता की ओर ले जाने का प्रयास करना चाहिए।
आइए, इस शरद पूर्णिमा पर चंद्रमा की पवित्र किरणों से आलोकित होकर अपने जीवन में शांति, सौम्यता और समृद्धि को आमंत्रित करें।
-सनातन सांस्कृतिक संघ

शरद पूर्णिमा: चंद्रमा की सोलह कलाओं का पूर्ण होना
लेखक: हरिप्रिया भार्गव, राष्ट्रीय अध्यक्ष, सनातन सांस्कृतिक संघ
शरद पूर्णिमा का सनातन धर्म में विशेष महत्व है। यह वह दिन होता है जब चंद्रमा अपनी सम्पूर्ण सोलह कलाओं से पूर्ण होता है। चंद्रमा की सोलह कलाओं को आदिकाल से शुद्धता और दिव्यता का प्रतीक माना गया है। इस दिन चंद्रमा अपनी अद्भुत चांदनी से समस्त आठों दिशाओं में प्रकाश फैलाता है, जिससे वातावरण में एक विशेष ऊर्जा और शांति का संचार होता है।
हमारे सनातन ग्रंथों के अनुसार, चंद्रमा की किरणों में इस दिन अमृत का संचार होता है। यही कारण है कि शरद पूर्णिमा की रात्रि में खीर का प्रसाद बनाकर उसे चंद्रमा की किरणों में रखा जाता है। यह खीर फिर भक्तों को प्रसाद के रूप में वितरित की जाती है, जिसे शुद्ध और पवित्र माना जाता है। इसके पीछे यह मान्यता है कि चंद्रमा की दिव्य किरणों से इस खीर में अमृत का संचार होता है, जो सेहत के लिए लाभकारी होता है।
धार्मिक और सांस्कृतिक महत्त्व
सनातन सांस्कृतिक संघ द्वारा शरद पूर्णिमा के अवसर पर हर साल भक्ति, संगीत, नृत्य और कला से संबंधित विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। इस वर्ष भी हमारी संस्था ने भेदभाव से मुक्त समाज के निर्माण के उद्देश्य से एक विशाल सांस्कृतिक और भक्ति समागम का आयोजन किया, जिसमें विभिन्न धर्मों के अनुयायी भी सम्मिलित हुए।
हमारा प्रमुख उद्देश्य वैदिक, जैन, बौद्ध, और सिख धर्म की मौलिक धार्मिक परंपराओं का प्रसार और संरक्षण करना है, ताकि विश्व में इनकी उपासना, प्रचार और अनुसंधान में वृद्धि हो सके।
इस अवसर पर हम सभी से अनुरोध करते हैं कि वे माँ शक्ति की भक्ति के माध्यम से चंद्रमा की अमृतमयी किरणों का आशीर्वाद प्राप्त करें और इस दिव्य आयोजन को भक्ति, नृत्य, संगीत और खीर के साथ सफल बनाएं।
निष्कर्ष
शरद पूर्णिमा का पर्व न केवल धार्मिक बल्कि वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी अत्यंत महत्वपूर्ण है। इस दिन चंद्रमा की पूर्णता और उसकी सोलह कलाओं का अनुभव कर हमें यह संदेश मिलता है कि हमें भी अपने जीवन को पूर्णता की ओर ले जाने का प्रयास करना चाहिए।
आइए, इस शरद पूर्णिमा पर चंद्रमा की पवित्र किरणों से आलोकित होकर अपने जीवन में शांति, सौम्यता और समृद्धि को आमंत्रित करें।
-सनातन सांस्कृतिक संघ