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दीपावली क्यों मनाई जाती है: एक विशेष पर्व की कहानी

HAPPY DIWALI (1)

दीपावली, जिसे हम दिवाली भी कहते हैं, भारत का सबसे बड़ा और समृद्ध पर्व है। हर साल कार्तिक मास की अमावस्या को मनाए जाने वाले इस त्योहार का आधार केवल एक दिन का उत्सव नहीं, बल्कि इसे कई महान कहानियों और परंपराओं से जोड़ा गया है। आइए, समझते हैं दिवाली क्यों मनाई जाती है और इसका क्या महत्व है।

1.⁠ ⁠भगवान राम का घर लौटना

दिवाली का प्रमुख आधार रामायण की कहानी है। इस दिन, भगवान राम अपनी पत्नी सीता और भाई लक्ष्मण के साथ 14 साल के वनवास के बाद अयोध्या लौट आए थे। उनकी आगमन की खुशी में नगर के लोगों ने दीप जलाए, जो अंधकार से उजाले की ओर बढ़ने का प्रतीक है। यह समय है, जब लोगों ने मिलकर एक-दूसरे के साथ अपने मन की खुशियां साझा की।

2.⁠ ⁠मां लक्ष्मी की पूजा

दिवाली के दिन, मां लक्ष्मी की आराधना भी की जाती है। मां लक्ष्मी धन, समृद्धि और भाग्य की देवी हैं। इस दिन लोग अपने घरों को साफ करते हैं और रंगोली बनाते हैं, क्योंकि यह माना जाता है कि उन्हें साफ घरों में आकर सुख और समृद्धि देने का आशीर्वाद मिलता है। लोग दिया और मिठाइयों से उनका स्वागत करते हैं, और प्रार्थना करते हैं कि उनके घर में हमेशा खुशहाली बनी रहे।

3.⁠ ⁠भगवान कृष्ण और नरकासुर की विजय

एक और महत्वपूर्ण कहानी जो दिवाली से जुड़ी है, वह है भगवान कृष्ण और नरकासुर की विजय की। नरकासुर, एक असुर था जिसने विश्व के लोगों को तकलीफ दी थी। भगवान कृष्ण ने इस असुर का विनाश किया और इस विजय को मनाने के लिए दिवाली का त्योहार मनाया गया। इस दिन, लोग दीप जलाकर उस विजय का उल्लेख करते हैं, जो अंधकार पर उजाले की जीत है।

4.⁠ ⁠जैन धर्म और महावीर का मोक्ष

दिवाली की एक अनन्य कहानी जैन धर्म से जुड़ी हुई है। इस दिन, भगवान महावीर ने मोक्ष प्राप्त किया था, जो कि उनके आत्मा की अतुलनीय शुद्धि का प्रतीक है। जैन समाज इस अवसर पर पूजा, ध्यान और समर्पण के साथ इस त्योहार को मनाता है। यह कहानी इस बात को दर्शाती है कि दिवाली केवल एक उत्सव नहीं, बल्कि आत्मा की मुक्ति और सुख की खोज का प्रतीक है। इस दिन लोग एक-दूसरे से मिलकर अपने ग़म और परेशानियों को भूलकर, एक नया शुरुआत करने की प्रेरणा लेते हैं।

5. गुरु नानक देव जी की जयंती

सिख धर्म के अनुसार, दिवाली का त्योहार गुरु नानक देव जी की जयंती के साथ भी जुड़ा हुआ है। इस दिन, गुरु हर गोबिंद जी ने ग्वालियर के किले से आज़ादी प्राप्त की थी, जिसे सिख समाज एक महान विजय के रूप में मनाता है। इस अवसर पर, लोग अपने घरों को सजाते हैं और गुरबानी सुनते हैं, जो उन्हें शांति और समृद्धि की ओर प्रेरित करती है। यह कहानी इस बात को समझाती है कि दिवाली एक ऐसा त्योहार है जो हमारे जीवन में आध्यात्मिकता और सामाजिक एकता की आवश्यकता को दर्शाता है।

दिवाली का त्योहार केवल एक रोशनी का पर्व नहीं है, बल्कि यह कहानियों, आध्यात्मिक मायने और सामाजिक मिलन का प्रतीक है। इस त्योहार से हमें उमंग और खुशी प्राप्त होती है, जो हमारे जीवन में एक नई रोशनी भरने का काम करती है।

इस दिवाली, आइए हम सब मिलकर इन कहानियों और परंपराओं को याद करें, और एक-दूसरे के साथ खुशियां बांटते हुए इस प्यारे पर्व को मनाएं। शुभ दीपावली!

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