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“ललितपुर में छुआ एक नया सवेरा: सनातन सांस्कृतिक संघ के नवीन प्रशासकीय कार्यालय के भव्य शुभारंभ की अविस्मरणीय कथा”
November 19, 2025

सनातन संकल्प सत्र: बानपुर में धर्मचेतना का नया अध्याय

बानपुर, ललितपुर (उत्तर प्रदेश) की पवित्र धरा पर 23-24 नवंबर 2025 को आयोजित सनातन सांस्कृतिक संघ के संकल्प शत्र एवं सदस्यता अभियान ने न केवल स्थानीय स्तर पर बल्कि पूरे बुंदेलखंड क्षेत्र में एक सांस्कृतिक क्रांति की लहर पैदा कर दी। यह आयोजन हजारों श्रद्धालुओं की उपस्थिति में संपन्न हुआ, जहां पंच महाभूतों की साक्षी में सामूहिक संकल्प लिए गए

जब किसी भूमि की मिट्टी आध्यात्मिकता को स्पर्श कर लेती है, जब विविधता में एकता का भाव जागृत हो जाता है, और जब सनातन संस्कृति का शंखनाद फिर से गूंजने लगता है—तो इतिहास के पन्नों में स्वर्णिम अध्याय खुद-ब-खुद अंकित हो जाते हैं। बानपुर का यह संकल्प शत्र ठीक वैसा ही ऐतिहासिक क्षण साबित हुआ, जो सनातन मूल्यों के पुनरुत्थान का प्रतीक बन गया। श्री श्री 1008 बजरंगगढ़ हनुमान मंदिर परिसर में आयोजित इस विशाल समागम ने न केवल धार्मिक एकता को मजबूत किया, बल्कि सामाजिक सद्भावना की नई नींव भी रखी।

 

भौगोलिक एवं सांस्कृतिक संदर्भ

ललितपुर जिला, जो बुंदेलखंड क्षेत्र का महत्वपूर्ण हिस्सा है, अपनी प्राचीन सांस्कृतिक विरासत के लिए जाना जाता है। यहां की मिट्टी में वीरता, भक्ति और आध्यात्मिकता का संगम है। बानपुर कस्बा, पुलिस चौकी के निकट स्थित बजरंगगढ़ हनुमान मंदिर के परिसर ने इस आयोजन के लिए आदर्श स्थान प्रदान किया। दूर-दराज के गांवों से लेकर शहरों तक के लोग पैदल, वाहनों से और विभिन्न साधनों द्वारा पहुंचे। यह आयोजन उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश की सीमाओं को पार करते हुए एक व्यापक सांस्कृतिक संवाद का प्रारंभ बिंदु बन गया।

 

राष्ट्रीय अध्यक्षा श्रीमती हरिप्रिया भार्गव: प्रेरक नेतृत्व

 

संस्कृति संरक्षण की प्रेरणा स्रोत

कार्यक्रम का संपूर्ण नेतृत्व राष्ट्रीय अध्यक्षा श्रीमती हरिप्रिया भार्गव ने किया, जिनकी उपस्थिति ने पूरे आयोजन को एक ऊंचे आध्यात्मिक स्तर पर उंचा कर दिया। उनकी वाणी में गहराई, दृष्टि में दूरदर्शिता और व्यक्तित्व में सनातन शक्ति का प्रतिबिंब था। भार्गव जी ने अपने संबोधन में स्पष्ट शब्दों में कहा, “सनातन संस्कृति द्वारा ही भारतीय सभ्यता सुरक्षित रह सकती है। बच्चों को संस्कारों से जोड़ना, धार्मिक ग्रंथों से परिचित कराना और महापुरुषों के जीवन से प्रेरणा दिलाना आज की सबसे बड़ी आवश्यकता है।”

 

एकता का दर्शन: मोक्षलक्षी धर्मों का एकीकरण

हरिप्रिया भार्गव ने वैदिक, जैन, बौद्ध और सिख जैसे मोक्षलक्षी धर्मों को एक सूत्र में बांधने का आह्वान किया। उन्होंने जाति-वर्ण की संकीर्णताओं से ऊपर उठकर “एक समाज, एक संस्कृति, एक सनातन” की भावना को बल दिया। उनका यह संदेश न केवल तात्कालिक सभा को प्रभावित करने वाला था, बल्कि भावी पीढ़ियों के लिए एक स्थायी विचारधारा का आधार भी बन गया। कार्यक्रम में उपस्थित हजारों लोगों ने “धर्मो रक्षति रक्षितः” और “वसुधैव कुटुम्बकम्” के मंत्रों का सामूहिक जाप किया, जो एकता के प्रतीक के रूप में गूंजा।

 

सामाजिक प्रभाव एवं दूरगामी परिणाम

उनके उद्बोधन ने युवाओं में सांस्कृतिक जागरूकता जगाई। विशेषज्ञों के अनुसार, भार्गव जी का नेतृत्व सनातन संस्कृति के शांति, श्रद्धा और शौर्य जैसे सिद्धांतों को घर-घर तक पहुंचाने का माध्यम बनेगा। यह संदेश न केवल बानपुर तक सीमित रहा, बल्कि सोशल मीडिया और समाचार माध्यमों के जरिए राष्ट्रीय स्तर पर फैल गया।

 

संकल्प शत्र: पंच महाभूतों की दिव्य साक्षी

 

पंच तत्वों के समक्ष महासंकल्प

अग्नि की ज्वाला, जल की शीतलता, वायु की गति, धरती की स्थिरता और आकाश की विशालता—इन पंच महाभूतों की साक्षी में विशाल जनसमुदाय ने पाँच ऐतिहासिक संकल्प लिए। यह संकल्प सत्र सनातन सांस्कृतिक संघ का केंद्रीय आकर्षण था, जिसमें मंत्रोच्चार और सामूहिक प्रतिज्ञा के माध्यम से एक नया युगधर्म जन्मा।

 

संकल्पों का विस्तृत विवरण

धार्मिक एकीकरण: मोक्षलक्षी धर्मों को एकसूत्र में बांधकर जातिभेद को समाप्त करने का संकल्प। इससे सामाजिक समरसता को बढ़ावा मिलेगा और धार्मिक विभेद की जड़ें समाप्त होंगी।

परंपरा संरक्षण: सनातन परंपराओं को सुरक्षित और अक्षुण्ण रखने का दृढ़ निश्चय। वेद, उपनिषद, पुराण और अन्य ग्रंथों का अध्ययन-प्रचार सुनिश्चित किया जाएगा।

आधुनिकता-परंपरा संतुलन: आधुनिकता अपनाते हुए अपनी जड़ों से जुड़े रहने का संदेश। विज्ञान और प्रौद्योगिकी को सनातन मूल्यों से जोड़ना होगा।

पीढ़ीगत संस्कार: नई पीढ़ी में संस्कारों की ज्योत जलाने का संकल्प। स्कूलों, कॉलेजों और सामुदायिक केंद्रों में सांस्कृतिक शिक्षा का प्रसार होगा।

सामाजिक सशक्तिकरण: एक संगठित, संवेदनशील और सशक्त समाज निर्माण का लक्ष्य। महिला सशक्तिकरण, युवा विकास और ग्रामीण उत्थान पर विशेष जोर।

ये संकल्प केवल शब्द नहीं, बल्कि कार्यान्वयन की ठोस योजना हैं। संघ ने सदस्यता अभियान के माध्यम से लाखों लोगों को जोड़ने का लक्ष्य रखा है।

 

भव्य शुभारंभ एवं आयोजन विवरण

 

आध्यात्मिक उद्घाटन

हनुमान जी महाराज के चित्र के समक्ष दीप प्रज्वलन से कार्यक्रम का शुभारंभ हुआ। यह क्षण आध्यात्मिक ऊर्जा से ओतप्रोत था, जहां भक्तों ने “जय हनुमान” के नारों से वातावरण गुंजायमान कर दिया।

 

नेतृत्व संरचना

कार्यक्रम की अध्यक्षता श्रीमती वीणा जैन (महामंत्री, भाजपा महिला मोर्चा) ने कीं, जिन्होंने इसे समाज परिवर्तन का शंखनाद बताया। संचालन जिले के वरिष्ठ जनप्रतिनिधि श्री आशीष रावत ने किया।

 

गणमान्य अतिथियों की सूची

ब्रह्मकुमारी रुवी दीदी: आध्यात्मिक मार्गदर्शन

नीता खरे: सामाजिक कार्यकर्ता

डॉ. नीलम सर्राफ: विद्वान एवं शिक्षाविद

पत्रकार पवन संज्ञा: मीडिया प्रतिनिधि

अन्य स्थानीय नेता एवं सांस्कृतिक कार्यकर्ता

स्थानीय प्रशासन का पूर्ण सहयोग रहा, जिससे आयोजन शांतिपूर्ण रहा।

 

सनातन भंडारा: सेवा भाव का महायज्ञ

 

विशाल सामूहिक भोजन

बजरंगगढ़ हनुमान मंदिर परिसर में आयोजित विशाल भंडारे ने सभी वर्गों को एक मंच पर ला खड़ा किया। ग्रामीणों से लेकर नगरवासियों तक, हर गांव-घर से लोग पहुंचे। हजारों ने प्रसाद ग्रहण कर पुण्य लाभ अर्जित किया।

 

भंडारे का सांस्कृतिक महत्व

यह भंडारा केवल भोजन वितरण नहीं था, बल्कि सनातन की समानता, सेवा और सद्भावना का जीवंत प्रतीक था। “अन्नदानं परमं दानम्” के सिद्धांत को चरितार्थ करते हुए, यह आयोजन सामाजिक एकता को मजबूत करने वाला सिद्ध हुआ। स्वयंसेवकों की टीम ने उत्कृष्ट सेवा की।

 

बुंदेलखंड के सांस्कृतिक नवोत्थान की आधारशिला

 

क्षेत्रीय प्रभाव

यह आयोजन बुंदेलखंड, उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश में सांस्कृतिक तरंग का सूत्रपात कर गया। आने वाले वर्षों में सामूहिक संकल्प निम्नलिखित क्षेत्रों को प्रभावित करेगा:

1. सामाजिक जागरण: समाज को सांस्कृतिक मूल्यों से जोड़ना।

2. सांस्कृतिक नवोत्थान: परंपराओं का पुनरुद्धार।

3. आध्यात्मिक चेतना: आंतरिक शांति और नैतिक विकास।

 

दीर्घकालिक योजनाएं

संघ गांव-गांव में सदस्यता अभियान और जागरूकता शिविर आयोजित करेगा। सरकारी संस्थाओं से समर्थन की अपेक्षा है। यह शाश्वत यात्रा का प्रारंभ है।

 

समापन: हृदयस्पर्शी संदेश

सनातन सांस्कृतिक संघ का यह भव्य संकल्प शत्र भूतकाल की परंपराओं से भविष्य को जोड़ने वाला सेतु है। जहां संस्कृति मार्गदर्शक, सेवा उद्देश्य और समाज उत्थान धर्म है। बानपुर की भूमि इस क्षण की साक्षी बनी, और इसकी गूंज दूर-दूर तक फैल चुकी है।

यह सिर्फ कार्यक्रम नहीं—सनातन पुनर्जागरण की शुरुआत है। इतिहास में बानपुर का नाम स्वर्ण अक्षरों में अंकित हो गया।

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